बच्चे पढ़ाई मे कमजोर क्यों होते है? आइए जानते हैं
हमारे देश का एजुकेशन सिस्टम। हमारा एजुकेशन सिस्टम केवल किताबी ज्ञान ही देता है ना कि बच्चों की ताकत के हिसाब से। हमारे देश के स्कूलों, कॉलेजों से निकले बच्चे केवल किताबों के मास्टर होते है असल जिंदगी मे पिछड़ जाते है। हमारे देश के कॉलेजों से निकले बच्चे बैंक का एक फार्म सही से नही भर सकते तो किस पढ़ाई के लिए हम बच्चों पर दबाव बनाते है। बच्चों पर दबाव बनाने से पहले कुछ बाते जान लो।
1. अपने बच्चे की ताकत और उसके मजबूत पक्ष को पहचानो :- हर बच्चा पढ़ने मे प्रथम आने के लिए नही बना। हर बच्चें के अंदर कुछ खास है जो किसी ओर मे नही। आप लोग जिन बड़े सेलेब्रेटी को फोलो करते हो उनमे मे ज्यादातर के पास कॉलेज की डिग्री भी नही है। वो करोंड़ो कमाते हैं और करोड़ो उनके पीछे आते है उनके जैसा बनना चाहते है। किसी बहुत पढ़े लिखे ने बिल गेटस से बोला कि उसके पास बिल गेटस से ज्यादा शिक्षा है तो बिल गेटस ने बोला कि उसके जैसे ना जाने कितने पढ़े लिखे उसके नीचे नौकरी करते हैं। बच्चा जब अपने टैलेट को अपना पैशन और प्रोफेशन बना लेता है तो दौलत, शोहरत उसके पास चल कर आएगी। सुदर्शन पटनायक को आज कौन नही जानता। पूरी दुनिया मे उसकी और उसकी कला की चर्चा है। कभी किसी ने सोचा होगा कि रेत पर कलाकृतियां बनाने से भी इतना नाम कमाया जा सकता है। लेकिन सुदर्शन की ख्याति तो पूरी दुनिया मे है। इसलिए अपने बच्चों की ताकत हो पहचानो।
2. शैक्षणिक योग्यता सब कुछ नही:- आज के युग मे शैक्षणिक योग्यता प्रतिभा का पैमाना नही रह गया। आजकल शैक्षणिक योग्यता से ज्यादा दूसरें पहलूयों को ज्यादा अहमियत दी जाती है। कम पढ़े लिखे मालिक बन जाते हैं और ज्यादा पढ़े लिखे उनके लिए काम करते है। अपने बच्चे के टैलेट को पहचानो और उसे ओर निखारो। उसको अपने पैशन को उसका प्रोफेशन बनाने दो। डिग्रियों वाला बंदा बेरोजगार रह सकता है लेकिन टैलेट वाला कभी बेरोजगार नही रहता। जिसके हाथ मे हुनर है वह अपने लिए आजिविका कमा ही लेगा। आजकल शिक्षा नही टैलेट बिकता है जिसके अंदर जितना टैलेंट होगा वह उतना ही अपने जीवन मे सफल बनेगा। बच्चों की पढ़ाई से ज्यादा उनके टैलेट पर फोकस करो। आपको कभी अपने बच्चों के कारण शर्मिंदा नही होना पड़ेगा बल्कि आपको आपके बच्चों के कारण पहचाना जाएगा।

3. एक बच्चा हर विषय मे कुशल नही हो सकता आज के
स्कूल हर विषय के लिए एक विशेषज्ञ शिक्षक होता है जिसको दूसरे विषय के बारे मे ज्यादा पता नही होता। गणित वाले शिक्षक को अंग्रेजी का उतना ज्ञान नही होगा, विज्ञान वाले शिक्षक को हिंदी का ज्यादा ज्ञान नही होगा, तो अंग्रेजी वाले को संस्कृत के बारे मे नही पता होगा। जब हर विषय के लिए एक अलग शिक्षक है जिसको दूसरे विषय के बारे मे नही पता होता तो हम एक अकेले बच्चे से कैसे उम्मीद रखते हैं कि वो हर विषय मे अव्वल रहे। किसी विषय मे वह कमजोर होगा तो किसी विषय मे वह सबसे आगे भी होगा।
4. पढ़ाई को पढ़ाई रहने दो जंग को मैदान मत बनाओ।
बच्चो की पढ़ाई को हमने अपने रूतबे का सवाल बना दिया है। अगर हमारा बच्च प्रथम आए तो हम सबके सामने अपने आप को बहुत गौरवांवित महसूस करते हैं लेकिन वही बच्च जब फेल हो जाता है तो हमारी नाक कट जाती है। बच्चो की पढ़ाई है कोई जंग का मैदान नही। बच्चो की पढ़ाई को फन रहने तो उसे मजबूरी और बोझ मत बनाओ। जिस चीज के साथ फन जुड़ जाता है उस चीज को बच्चे जल्दी सीखते। बच्चों के टैलेंट को पहचानो और उस टैलेंट को ओर निखारों एक दिन आपके बच्चे आपका नाम रोशन जरूर करेंगे।

5. बचपन कभी लौट कर नही आता।
बच्चे जब बड़े हो जाते है, वो जब दुनियादारी की उलझन मे उलझ जाते है तो जिस चीज को सबसे ज्यादा याद करते है वह उनका बचपन। आप खुद का उदाहरण देख लो कि आपको अपना बचपन कितना याद आता है। हम तो उस दौर से गुजर चुके है लेकिन हम अपने बच्चों के साथ वही गलती दोहरा रहे हैं जो हमारे साथ हुई थी। अपने बच्चों को अपना बचपन जी भर के जी लेने दो। उनको जीवन मे जो बनना है वह तो वो जरूर बनेगें। लेकिन भविष्य की उम्मीदों के बोझ तले बचपन को मत दबने दो। उनको आज का आनंद जी भर के लेने दो। उनकी खुशीओं को सपनों की बलि मत चढ़ने दो।

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