क्या आप यह जानते है की सुबह 4 बजे उठ जाना ही , कामयाबी का राज है
हैलो दोस्तों मेरा नाम विपिन यादव और आप सभी का अनोखे नुक्शे साइट पे स्वागत करता हु कृपया अगर जानकारी अच्छी लगी हो तो हमें फॉलो करे
हॉलीवुड स्टार और दो बार आक्सर पुरस्कारों के लिए नॉमिनेट किये गए मार्क वॉलबर्ग ने यह खुलासा किया की वह सुबह को ढाई बजे जग जाते है जब आप सो रहे होते है ,उस वक्त मार्क वॉलबर्ग जिम में कसरत कर रहे होते है | वे जिम में 90 मिनट बिताते है | फिर गोल्फ खेलते है और प्रार्थना करते है | वॉलबर्ग शाम को 7:30 बजे ही सोने चले जाते है | जल्दी जगने वालो में से वॉलबर्ग अकेले नहीं है एप्पल के सीईओ टीम कुक सुबह 4:45 बजे जग जाते है |
डिज़्नी के बॉस बॉब आइगर सुबह 4:25 बजे वर्कआउट शुरू कर देते है | अमेरिका के एनबीए के खिलाडी सुबह जल्दी उठकर जिम में पहुंच जाते है | कारपोरेट जगत में कामयाब लोगो के प्रोफाइल में एक बात आम दिखती है की अगर आप कामयाब होना चाहते है तो आप सूरज को जगाइए , न की सूरज आपको जगाये |
अब बात आती है की क्या हमें सुबह जल्दी उठाना चाहिए ?
क्या इससे हमें ज्यादा काम करने में मदद मिलेगी? हो सकता है की ऐसा हो लेकिन इसका कीमत भी चुकाना पड़ सकता है।
कितनी जल्दी जगा जाय
रात को 2:30 बजे दिन की शुरुआत करने का मतलब है। बहुत ही लम्बा दिन और ना के बराबर आराम। लेकिन वॉलबर्ग के सोने के वक्त को देखकर लगता है की वे सात घंटे रोज सोते है। काम करने के लिए यह जरुरी है। क्युकी नींद से समझौता किया तो सेहत बिगड़ जाएगी दिमाग भी सही से काम नहीं करेगा। वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के क्रिस्टोफर बान्श और मिशिगन यूनिवर्सिटी की ग्रेचेन स्प्रिट्ज़र ने इस विषय पे गहन शोध किया।
उनके सामने प्रश्न यह था की कंपनियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए की उनके कर्मचारी पूरी नींद ले। शाम को 7:30 बजे ही बैडरूम में चले जाने का मतलब है की आप परिवार के साथ डिनर नहीं कर प् रहे है और दोस्तों के साथ सामाजिक गतिविधियों में भी हिस्सा नहीं ले पा रहे है
चकवा और उल्लू
इंसान के सोने और जगने का समय उनके शरीर के आंतरिक घडी से नियंत्रित होता है। शरीर खुद सिगनल देता है की कब सोना है और कब जगाना है। कई लोग तय समय पर सोने और तय समय पर जगाने के इतने आदि हो जाते है की अलग टाइम जॉन में जाने पर उनका शरीर बुरी तरह जेटलैग का शिकार हो जाता है. सोने और आधार शोधकर्ता लोगो को मोटे तौर पर दो भागो में बाटते है जल्दी जगाने और जल्दी सोने वालो को चकवा (पंछी)की तरह कहा जाता है। बान्श कहते हैं कि लगभग बचपन में सभी व्यक्ति चकवा की तरह ही होते है वे जल्दी जगते और जल्दी सो जाते है जवानी आते ही इंसान उल्लू की तरह हो जाता है। उसे देर से नीद आती है और वह देर से जगना चाहता है। बुढ़ापे में इंसान फिर से जल्दी सोने और जगने लगता है. बान्श मानते है की मार्क वॉलबर्ग की तरह रात को 2:30 बजे जगने वाले व्यक्ति विरले होते है। "मनोवैज्ञानिक और व्यवहारिक से आप सबसे अच्छा तब महसूस करते है , जब अपने शरीर की आंतरिक घडी से जगते और सोते है '' जो लोग शरीर की आंतरिक घडी को नजर-अंदाज करके अपने के साथ ज्यादतरी करते है और दुसरो को भी ऐसा करने को प्रेरित करते है , वे किसी और लक्ष्य से प्रेरित होते है।
धौस ज़माने की कोशिश
जल्दी जगने वाले लोग इस बात को लेकर रौब क्यों गांठते है ? ऐसा करके वे दिखाना चाहते है के वे ज्यादा काम करते है। भारत सहित कई संस्कृतियों में यह मान लिया गया है की जो लोग जल्दी जगते है वे लोग अच्छे होते है 2014 में 120 वयस्क लोगो पर अध्यन किया गया जिसमे पाया गया की जिन्होंने दिन में देर से काम शुरू किया उनको सुपरवाइज़र से काम रेटिंग मिली सुपरवाइज़र ने उन्हें कर्तब्यनिष्ठ कर्मचारी नहीं मन।
दिलचस्प हैं की जो सुपरवाइज़ खुद देर से जगने वाले थे उन्होंने कण नकारात्मक रेटिंग दि बाम्स कहते है की ''लोग आपके काम को आपके शेड्यूल के हिसाब से भी आंकते है अगर आप सुबह जल्दी अपना काम करते है तो आपको अच्छा मन जाता है" सवाल है की आप हासिल क्या करना चाहते है ? क्या आप सिर्फ लोगो को प्रभावित करना चाहते है ? अगर आप सुन सकते है तो अपने शरीर को सुनिए। यह समझिये की आपके शरीर को कब आराम की जरुरत है।
यदि आप अधिक काम करने के लिए जल्दी उठते है तो अपने काम का मूल्यांकन कीजिये। खुद से यह जरूर पूछिए की आप सुबह जल्दी क्यों उठ रहे है-ज्यादा काम करने के लिए या किसी को प्रभावित करने के लिए ? वजह चाहे जो हो लेकिन आपकी सेहत सबसे जरुरी है बान्स के शोध ने दिखाया है की जबरजस्ती जगना और अपने शरीर को काम में लगाना अनैतिक है बान्स कहते है, "अगर आप काम में मन नहींलगा पा रहे है तो आप गलतिया करेंगे '' इस इस्थिति से बचे और शरीर के आंतरिक घडी से सोये और जगे।
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